ये किस उधेड़बुन में उलझा रही हो मुझे,कभी दो कदम आगे,तो कभी ढाई कदम पीछे,क्यो जीवन को ‘शतरंज की बाजी’बना रही हो तुम,चलो तुम जीती,मैं
Life,Poetry, Philosophy, Joy and Peace..🌺
ये किस उधेड़बुन में उलझा रही हो मुझे,कभी दो कदम आगे,तो कभी ढाई कदम पीछे,क्यो जीवन को ‘शतरंज की बाजी’बना रही हो तुम,चलो तुम जीती,मैं