हाँ रहता है मुझमें कही वो,
मिलता भी है मुझसे रोज,
सिरहाने पड़ी किताबों के पन्नों में,
कभी दीवारों में दिखता है ,
उसका चेहरा,
कभी मेरी आँखों में
खुद ब खुद उभर आता है वो,
जब मैं एकांत में ,
सुन रहा होता हु,
रफी और मुकेश को,
कौन कहता है,
परमेश्वर को किसी ने नहीं देखा,
हाँ मैंने देखा है,
महसूस किया है,
इधर- उधर ,
अपने आस पास कही ….
