सुनो ! सिकंदर, वापस आना मत भूलना, जितना-हारना, आगे बढ़ना, थक जाओ गर कभी, तुम हार जाओ गर कभी, लौट आना, यहाँ तुम्हारा सदैव, स्वागत है, ये घर है तुम्हारा… इसलिए वापस आना मत भूलना…
Author: भृगुऋषी
ये सारा संसार ही एक जीवन है ।
बंधनों के उस पार भी एक जीवन है, यहाँ- वहां, इधर-उधर, ये सारा संसार ही एक जीवन है । और जहां जहाँ जीवन हैं, वहां वहां मृत्यु है। जिंदगी जीवन और
मैं जानता हूं तुम्हे…
तुम कह सकती हो,तुम क्या समझोगे,पर मैं तुम्हे समझता हूं,मैं तब से तुम्हे,समझता हूं,जब मैं “मैं” बन रहा था…बल्कि मैंने,दुनिया को,तुमको,सबको,सिर्फ तुम्हारी,नजर से,देखा,जाना,समझा,उन नौ महीनों
उपहार / Women’s day
ये मेरी कविता मेरी सभी महिला मित्रो को सपर्पित ….💐💐💐 मैंने कहा –सोच रहा हु,इस विमेंस डे पे क्या दू तुम्हे,हार दू,उपहार दूबंगला दू या
जब हुए रूबरू तुमसे…
बहुत दिनों से एक बात,दबी थी दिल मे,बहुत दिनों से मैं ,बोल ना पाया तुमसे…बहुत तलाशा शब्द,मौके और वक्क्त,की कह दूं,बहुत , बहुत भी मुझे
गंगा..
नदी,सभ्यता,सौंदर्य,प्यास,जलाशय,माँ,पापदायिनी,मोक्षदायिनी,जीवनदायिनी,पहला प्यार,मेरी कविताये,चाय की चुस्की,नौका विहार,पुरखो का अस्थिविसर्जन,मुंडन,आरती,सुबहे बनारस,हम बनारसियों के लिए,जीवन गंगा है,और ‘गंगा’ जीवन ….हर हर गंगे.. भृगुऋषी
मुझे ऐ जिंदगी दीवाना कर दे…
तुम्हे हारा हुआ क्यो लगता हुमैं अपने आप मे सुलगता हु,मुझको मेरी तरह से जीने दे,मेरी हर बूंद को मैखाना कर दे,मैं अपने आप से
चित्रांजलि..
आज़ादी का सही अर्थ , कौन बता पायेगा? वो जो पिंजरे में है , या फिर वो जो पिंजरे से बाहर हैं, पता नही, क्या

सत्यम शिवम सुन्दरम…
शिव ….. आदि अनादि जन्मा अजन्मा सृष्टिकर्तासंहारकर्तासौम्य रुद्र परा अपरा योगी आदियोगी दृश्य अदृश्य औघड़ अघोरी शून्य… कौन ? कहा ? मैं उसमे हूँ या
काम..
काम कोई अच्छा बुरा, सही गलत नही होता, अच्छा काम होता है, या बुरा काम होता है.. आप अच्छे बुरे नही होते, आप अपना काम
The Journey Begins
Thanks for joining me! Good company in a journey makes the way seem shorter. — Izaak Walton