
कितनी महंगी है कवितायें,
कैसे तुमको समझाऊ…
कितनी इसमें मधुशाला है,
कितनी जागी रातें..
कितनी आहत भाव है इसमें,
कितनी अनकही बातें,
मोल नही मिलती है आहें,
मोल ना मिलती बाहें…
कितनी महंगी कविताएं है…
कितनी महंगी है कवितायें,
कैसे तुमको समझाऊ…
कितनी इसमें मधुशाला है,
कितनी जागी रातें..
कितनी आहत भाव है इसमें,
कितनी अनकही बातें,
मोल नही मिलती है आहें,
मोल ना मिलती बाहें…
कितनी महंगी कविताएं है…
Abhar💐
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मस्त
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बहुत सुंदर अभिव्यक्त किया है ।👌🏼
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आभार देवी 💐
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