धीरे-धीरे उसे कठपुतली बनाया गया,
वो जंगल का शेर था,
उसे सर्कस के काबिल बनाया गया,
बंदर हो ,भालू हो, चाहे हो मछली,
पेड़ पे चढ़ना सिखाया गया,
बरसों बरस तक पढ़ाया गया,
शीशें में उनको उतारा गया,
होना तो यूँ था,की खुद में उतरते,
खुदी को समझते,नई दुनियां रचते,
मगर उनको बाबू बनाया गया,
बरसों बरस तक पढ़ाया गया,
शासन के हाथों नचाया गया,
कठपुतली ऐसे बनाया गया।
