अब चाह नही अपने कोने की,
कुछ पाने की,कुछ खोने की,
मोह पाश सब टूट चुका अब,
दुनियां पीछे छूट चुका अब,
अब अपना कोना,
अपने अंदरजब से मन ये हुआ कलंदर…
अब चाह नही अपने कोने की,
कुछ पाने की,
कुछ खोने की।

अब चाह नही अपने कोने की,
कुछ पाने की,कुछ खोने की,
मोह पाश सब टूट चुका अब,
दुनियां पीछे छूट चुका अब,
अब अपना कोना,
अपने अंदरजब से मन ये हुआ कलंदर…
अब चाह नही अपने कोने की,
कुछ पाने की,
कुछ खोने की।