आज जब वो इस दुनियां में नही हैं तो उसके लिए ग़ज़ल लिखे जा रहे, कविताएं, पोट्रेट, अच्छी – अच्छी बातें बोली जा रही।जब वो था तो किसी ने उस पर ग़ज़ल नही लिखी।
तारीफें की जा रही हैं कि वाह भाई क्या कमाल का आदमी था, कितनी खूबियां थी।
क्या तारीफें मरने की मोहताज होती हैं, अच्छी बातें मरने के बाद ज्यादा बोली जाती है…
पर सच बताऊँ, क्या फायदा उन तारीफ़ों का , ग़ज़लों का, कविताओं का जो जिसके लिए लिखी गयी वो ही नही सुन सकता, वो ही नही पढ़ सकता। आपस में सुनते रहो लाइक्स,शेयर दबाते रहो, वाह वाह करते रहो।
जो करना है तारीफ़ या बुराई अभी कर लो अभी जिंदा हूँ मैं। अभी कर लो।।