मेरे लाख मना करने पर भी,
एक सौ एक रुपये का दहेज,
देकर प्रथा का मान रखा गया….
समय के साथ प्रथाएं,
रीतियां,नियम ,कानून,
बदलते रहना चाहिए,
कोई नियम या कोई प्रथा,
आखिरी या सर्वोच्च नही हो सकती,
बेहतर और बेहतर,
की संभावनाएं बनी रहती है,
और इन्हें बदलने की,
परिष्कृत करने की जिम्मेदारी,
कोई बूढ़ा समाज कभी नही ले सकता,
क्योंकि बदलाव,जवानी का दूसरा नाम है..
सो ट्रू भाई
LikeLiked by 1 person
थैंक्स भाई
LikeLike
बिल्कुल सही कहा आपने
समय के साथ रीति रिवाज प्रथाएं कानून सब बदलने चाहिए
LikeLiked by 1 person
आभार💐
LikeLiked by 1 person
आभार💐
LikeLike
उत्तम विचार !
LikeLiked by 1 person