हाँ रहता है मुझमें कही वो,
मिलता भी है मुझसे रोज,
सिरहाने पड़ी किताबों के पन्नों में,
कभी दीवारों में दिखता है ,
उसका चेहरा,
कभी मेरी आँखों में
खुद ब खुद उभर आता है वो,
जब मैं एकांत में ,
सुन रहा होता हु,
रफी और मुकेश को,
कौन कहता है,
परमेश्वर को किसी ने नहीं देखा,
हाँ मैंने देखा है,
महसूस किया है,
इधर- उधर ,
अपने आस पास कही ….

बेहतरीन
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आभार💐
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🙏😊
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Behtareen2
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बहुत सुंदर
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आभार दादा💐
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expressed well…
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Thank you..💐
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