चारों तरफ भयानक अंधेरा,पता नही कौन सी जगह है ये और बीच मे एक कही ये गुफा है मैं इसमे कब कैसे आ गया कुछ पता नही।
कुछ नहीं है मेरे पास ना खाने पीने का,ना रौशनी करने का फिर भी डर बिल्कुल नही लग रहा।
मैं ध्यान की मुद्रा में बैठा मगन हूं पता नही कब से बैठा हूं।
अब मैं सिद्ध हो चुका हूं मैं सब कुछ महसूस कर सकता हूं, ये स्वास का चलना,रक्त में मिलकर कोशिकाओं तक पहुँचना, ये पानी पीते वक्त नाली का वैक्यूम, सब कुछ।।
मेरे शरीर से एक अदभुत ऊर्जा निकलने लगी है जिससे चारो तरफ उजाला ही उजाला हो गया है ऐसा लग रहा है अपुनिच भगवान है।
सोच रहा हूं चलने दू या मिटा दू इस व्यर्थ अनावश्यक सृष्टि को और ये क्या मेरे मुह में थरमामीटर कौन डाल रहा है, हे नादान स्त्री देखो कही तुम्हारा ये थरमामीटर विस्फोट ना कर जाय मैं एक सिद्ध पुरुष हूँ।।
तभी आवाज आई उठोगे 104 बुखार है, डॉक्टर को दिखा आओ, सुबह से दो
रजाई ओढ़े पड़े हो…
धत साला जब मुझे लगता है कि मैं कुछ करने वाला हूं कोई ना कोई गड़बड़ हो जाता है… चलता हूं डॉक्टर के पास जाना है।।
🤗
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आभार
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Abhar !
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Very nice
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Bohat badia bhai
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Thanks bhai
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हा खयाल तब आया जब एक मेट ने बोला सोच रहा हूँ कुछ करू…😀😀
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हा हा 😂😍😍❤🙏
ऐसा परीक्षा के वक़्त होता है …खासकर कठिन सब्जेक्ट की
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