मैं मॉल के गेट पे खड़ी रो रही थी,40 किलोमीटर दूर से आती थी मैं वहां काम करने।रात हो चुकी थी ,भयंकर आंधी तूफान बंद होने का नाम ही नही ले रहा था।बगल में खड़े एक लड़के ने पूछा कि तुम चाहो तो मेरे कमरे पे रुक सकती हो,यहाँ रोने और रात को इस बारिश में भटकने से बेहतर होगा,उसकी सलाह मानने के अलावा कोई रास्ता भी नही था मेरे पास। उसके छोटे से कमरे में एक चारपाई, अलमारी भर किताबें और छोटा सीलेंडर और कुछ बर्तन भर ही था। डिनर में उसने खिचड़ी बनाई और हमने कैंडल लाइट खिचड़ी खाई,बाहर तेज हवाएं,बारिश और बिजली थी..
Good one
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Thanks 👍
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शुक्रिया💐
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👌👌❤
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Awesome hai Bhrigu Rishi…
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Thanks
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Hmm बढ़िया
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