घर पे अच्छा लगता है,
सैलरी तो आनी ही है,
रेसोल्यूशन, मोटिवेशन,
सब चल रहा है,
तीनो टाइम खाना,
तीन बार चाय कॉफी,
छाती चौड़ाकर कहना,
लॉक डाउन जरूरी है….
कल पास वाली झोपड़पट्टी से होकर गुजरा,
दूध लेने जा रहा था….
बच्चें खामोश पड़े थे,
माँ बाप मायूस…
जिनके पास रहने को घर नही है ,
उनका क्या,
15 दिन हो गए लॉक डाउन को…
पेट कोई तर्क नही समझता साहेब,
उसे तो बस रोटी की भाषा समझ आती है….

Bat to sahi hai
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Bahut khoob
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Shukriya Janab 🙂
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