सुनो !
तुम मेरी जिंदगी में,
नमक जैसी हो,
बिन तेरे
कोई स्वाद नही
किसी व्यंजन का
सब फीका
सा लगता है,
प्यार-व्यार
मुझे सामझ नही आता
मैं बस इतना जनता हूँ,
की तुम्हारे साथ
सब स्वादिस्ट लगता है,
बिन तेरे, सब फीका..
और हा जब जब
मैं व्रत रखता हूं ,
तब तब तुम
सेंधा नमक
बन जाती हो,
तुम ही कहो
मुझे तुमसे प्यार भी है या
तुम बस मेरी
जरूरत हो, जिंदगी हो.. क्या हो तुम ?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी है जी
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धन्यवाद 🙂
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सुंदर अभिव्यक्ति
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आपका आभार नीलम जी 💐💐
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